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धार भोजशाला परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट में बड़े खुलासे खंभों पर गणेश और ब्रह्मा की आकृतियां, हिंदू-देवी देवताओं की मूर्तियां 

धार भोजशाला परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट में बड़े खुलासे खंभों पर गणेश और ब्रह्मा की आकृतियां, हिंदू-देवी देवताओं की मूर्तियां 

धार भोजशाला सर्वे मामले में एएसआई ने अपनी रिपोर्ट इंदौर हाईकोर्ट को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में खुदाई के दौरान हिंदू-देवी देवताओं की मूर्तियां मिलने का जिक्र है।

मध्य प्रदेश की धार भोजशाला मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपनी सर्वे रिपोर्ट इंदौर हाईकोर्ट में पेश कर दी है। जानकारी के मुताबिक इस रिपोर्ट में भोजशाला के खंभों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्ति और निशान का जिक्र किया गया है। जांच के दौरान श्रीकृष्ण, शिव, जटाधारी भोलेनाथ, ब्रह्मा समेत 94 देवी-देवताओं की मूर्ति मिली हैं। अपनी रिपोर्ट में एएसआई ने कहा कि है कि परिसर से चांदी, तांबे, एल्यूमीनियम और स्टील के कुल 31 सिक्के बीते दिनों पाए गए थे। इन सिक्कों को 10वीं सदी का बताया गया है। इसके अलावा यह भी दावा किया गया कि कुछ सिक्के उस समय के भी हैं जब जब परमार राजा धार में अपनी राजधानी के साथ मालवा में शासन कर रहे थे।

हाईकोर्ट के आदेश पर हुआ था सर्वे

11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट ने धार भोजशाला का एएसआई की देखरेख में वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था। सर्वेक्षण 22 मार्च से शुरू हुआ जो 27 जून तक यानी 98 दिनों तक किया गया। सर्वे के दौरान एएसआई की टीम ने खुदाई भी की। इस दौरान पूरे सर्वे की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की गई। इस दौरान ASI ने अलग-अलग तरह के अवशेष जब्त किए हैं, जिसमें भोजशाला की दीवार, पिलर, खुदाई के दौरान देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। एएसआई ने करीब 2000 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है।

सर्वे में क्या-क्या मिला?

जानकारी के मुताबिक एएसआई की टीम को सर्वे के दौरान मूर्तिकला के टुकड़े और मूर्तिकला चित्रण के साथ वास्तुशिल्प सदस्य देखे गए। खंभों पर शेर, हाथी, घोड़ा, कुत्ता, बंदर, सांप, कछुआ, हंस जैसे अन्य पक्षी उकेरे गए हैं। खिड़कियों, खंभों और प्रयुक्त बीमों पर चार सशस्त्र देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई थीं। एएसआई को यहां गणेश, ब्रह्मा अपनी पत्नियों के साथ, नृसिंह, भैरव, देवी-देवता, मानव और पशु आकृतियां मिली हैं।

धार भोजशाला विवाद क्या है?

धार जिले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे। 11वीं शताब्दी में यहां परमार वंश का राज हुआ करता था। उन्होंने धार में यूनिवर्सिटी की स्थापना की। इसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा। अलाउद्दीन खिलजी ने 1305 ईस्वी में भोजशाला को नष्ट कर दिया था। 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में एक मस्जिद का निर्माण करवाया। 1875 में खुदाई करने पर यहां से मां सरस्वती की एक मूर्ति निकली थी। इसे बाद में मेजर किंकैड लंदन लेकर चले गए।

हिंदू पक्ष इसके सरस्वती मंदिर होने का दावा करता है। इसके सबूत के तौर पर हिंदू पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में तस्वीरें भी पेश की गईं। फिलहाल यह भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन है और इसका संरक्षण एएसआई करती है। एएसआई ने 7 अप्रैल 2003 को एक आदेश दिया जिसके मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है। वहीं मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई।

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