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एंटी हेट स्पीच पर केंद्र सरकार का प्रभावी कदम : नफरती कंटेंट फैलाने वालों के खिलाफ़ सख्त कानून की तैयारी।

 

एंटी हेट स्पीच पर केंद्र सरकार का प्रभावी कदम : नफरती कंटेंट फैलाने वालों के खिलाफ़ सख्त कानून की तैयारी।

नई दिल्ली : देश में हेट स्पीच के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार अब सख्त नजर आ रही है। सोशल मीडिया पर नफरती कंटेंट डालने वाले तत्वों के खिलाफ़ सख्त कानून लेकर आने वाली है।
सरकार ने प्रवासी भलाई संगठन बनाम भारतीय संघ जैसे कुछ दूसरे मामलों में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों को इस ड्राफ्ट का आधार बनाया है।
केंद्र सरकार ने हेट स्पीच को लेकर सख्त कानून की तैयारी भी कर ली है। इस कानून के तहत हेट स्पीच की परिभाषा तय की जाएगी। कानून का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है. अब हेट स्पीच को लेकर पैमाना तय होगा।

इस कानून में सिर्फ हिंसा फैलाने वाला कंटेंट ही नहीं बल्कि झूठ फैलाने और आक्रामक विचार रखने वाले भी इस कानून के दायरे में आने वाले हैं. सरकार बहुत दिनों से इस मामले पर विचार कर रही थी लेकिन अब ज्यादा समय न लेते हुए इसका ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और हो सकता है कि मानसून सत्र में इस कानून को लेकर संसद में बहस देखने को मिल जाए।

सोशल मीडिया पर लिखने से पहले हो जाएं सावधान।

हेटस्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों, अन्य देशों के कानूनों और अभिव्यक्ति की आजादी के तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कानून का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है, इसे जल्द ही सार्वजनिक राय के लिए पेश किया जाएगा, इसमें हेटस्पीच की परिभाषा स्पष्ट होगी, ताकि लोगों को भी यह पता रहे कि जो बात वे बोल या लिख रहे हैं, वह कानून के दायरे में आती है या नहीं।

जानिए कौन-कौन सी चीजें आएंगी कानून के दायरे में।

विधि आयोग ने हेटस्पीच पर अपने परामर्श पत्र में साफ किया है कि यह जरूरी नहीं कि सिर्फ हिंसा फैलाने वाली स्पीच को हेटस्पीच माना जाए, इंटरनेट पर पहचान छिपाकर झूठ और आक्रामक विचार आसानी से फैलाए जा रहे हैं, ऐसे में भेदभाव बढ़ाने वाली और नस्ली भाषा को भी हेटस्पीच के दायरे में रखा जाना चाहिए, इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ कार्रवाई का रास्ता खुलेगा, हेट स्पीच की परिभाषा साफ होने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूजर्स द्वारा फैलाई गईं फेक न्यूज या नफरत भरी बातों से पल्ला नहीं झाड़ सकेंगी, सोशल प्लेटफॉर्म्स के जरिए भ्रामक फैलाई जाती हैं अब इनके खिलाफ सख्त कानून बनने से कानूनी कार्रवाई का रास्ता खुल जाएगा।

अभी हैं 7 अलग-अलग तरह के कानून।

देश में हेट स्पीच से निपटने के लिए 7 तरह के कानून इस्तेमाल किये जाते हैं, लेकिन इनमें से किसी में भी हेट स्पीच को परिभाषित नहीं किया गया है. इसीलिए, सोशल मीडिया प्लेटफार्म अपने यूजर्स को नफरत भरी बातें फैलाने से नहीं रोक पाते।

ये हैं मौजूदा प्रावधान

1. भारतीय दंड संहिता

धारा 124ए (राजद्रोह) : इस पर रोक लगाई जा चुकी है।
धारा 153ए: धर्म, नस्ल आदि के आधार पर वैमनस्य।
धारा 153बी : राष्ट्रीय एकता के खिलाफ बयान।
295ए और 298 : धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना।
धारा 505 (1) और (2) अफवाह या नफरत भड़काना।
2. जन प्रतिनिधि कानून

धार्मिक, जातीय या भाषायी आधार पर चुनावी दुराचरण.
3. नागरिक अधिकार अधिनियम, 1955
4. धार्मिक संस्था कानून
5. केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमन कानून
6. सिनेमैटोग्राफी कानून
7. आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973

यूरोपीय संघ और अमेरिका में हेटस्पीच की परिभाषा तय है।
यूरोपीय देश : असहिष्णुता के आधार पर नस्लीय घृणा के खिलाफ गलत बयानबाजी या भड़काऊ बयान को जायज ठहराना हेटस्पीच माना जाता है।

अमेरिका : अमेरिकी संविधान का पहला संशोधन ही संसद को मुक्त अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाने का कानून बनाने से रोकता है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी कि ‘घटिया अभिव्यक्ति’ पर अंकुश लगाने वाले कानून संवैधानिक माने जाएंगे।

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