अब मरीजों को अंग के लिए नहीं करना होगा लंबा इंतजार
स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोट्टो) ने गंभीर मरीजों के लिए बनाई सुपर अर्जेंट कैटेगरी
इंदौर। सबसे बड़ा दान वही होता है,जब हम हमारे और हमारे परिवार में मृत व्यक्ति के अंगों से किसी ओर को नया जीवन दे सकें। अंगदान के प्रति अभी हमारे शहर में जागरूकता तो बढ़ी है, लेकिन अंगदान करने वालों की संख्या में बढ़ोतरी आवश्यक है। अभी तक अंगदान के लिए सूची बनाई जाती थी और उसे के आधार पर मरीजों को अंग उपलब्ध होते थे।
स्टेट आर्गन एंड टिशू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोट्टो) ने गंभीर मरीजों के लिए सुपर अर्जेंट कैटेगरी बना ली है। जिसमें यदि किसी मरीज की हालत गंभीर है और उसे अंग की आवश्यकता है तो सूची में शामिल नाम के पहले उस मरीज तक अंग पहुंचा दिया जाएगा। इससे बड़ी संख्या में अंग नहीं मिलने के कारण पीड़ित मरीजों की जान बचाई जा सकती है।
इसमें प्रदेशभर के गंभीर मरीजों की सूची तैयार की जा रही है। इनमें वे मरीज भी शामिल हैं जिनके लिवर और किडनी की गंभीर अवस्था में पहुंच गए हैं। इसके लिए किडनी, लिवर के साथ ही विभिन्न कैटेगरी के पैरामीटर भी तय किए गए हैं। बता दें कि इसके कारण कैटेगरी में शामिल कई मरीजों को अंग पहले पहुंचाकर उन्हें नया जीवन दिया गया है। प्रदेश में 80 प्रतिशत अंगदान अकेले इंदौर में ही होते हैं।
यहां दस वर्ष में 12,500 से अधिक नेत्रदान, 760 से अधिक त्वचा दान और 300 से अधिक देह दान हुए हैं। साथ ही पिछले आठ वर्षों में 55 बार ग्रीन कारिडोर बनाए गए है। इससे सैकड़ों लोगों को नई जिंदगी मिली है। दरअसल, ब्रेनडेड मरीजों के अंगों को दान में लेकर उन्हें विभिन्न अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए ग्रीन कारिडोर बनाया जाता है।
अंगदान के प्रति अभी भी जागरूकता की कमी
बता दें कि अंगदान के प्रति अभी भी लोगों में जागरूकता की कमी है। जिस तेजी से अंगदान होना चाहिए, वैसा नहीं हो रहा है। हमारा समाज शिक्षित हो रहा है, लेकिन अंगदान के लिए अभी भी सभी को शिक्षित होने की आवश्यकता है। इसके महत्व को समझना जरूरी है। हालांकि कई कई संगठन अंगदान को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं।
इन अंगों का हो सकता है दान
अंगदान के लिए इंदौर में अब पहले से काफी बेहतर सुविधाएं हैं। साथ ही इस महादान के प्रति लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है। इसके कारण यहां शरीर के विभिन्न हिस्सों के साथ लोग पूरी देह का दान भी कर रहे हैं। अगर आप चाहें तो जीवित रहते हुए यह सहमति दे सकते हैं कि मृत्यु के बाद मेरे इन अंगों का दान ले लिया जाए। दान किए जा सकने वाले अंगों में कार्निया, हृदय के वाल्व, हड्डी, त्वचा जैसे ऊतकों को प्राकृतिक मृत्यु के बाद दान किया जा सकता है। हृदय, यकृत, गुर्दे, फेफड़े और अग्नाशय जैसे अन्य महत्वपूर्ण अंगों को केवल ब्रेनडेड के मामले में ही दान किया जा सकता है।
इनका कहना है
गंभीर मरीजों तक अंग पहले पहुंचें, इसके लिए सोट्टो में सुपर अर्जेंट कैटेगरी बनाई गई है, ताकि मरीजों को समय पर अंग मिल सकें और उनकी जान बचाई जा सके। अंगदान को लेकर जागरूकता की आवश्यकता है। अंगदान के महत्व को हर व्यक्ति को समझना चाहिए। ताकि कई लोगों को नया जीवन मिल सके।- डा. संजय दीक्षित, सचिव, इंदौर सोसायटी फार आर्गन डोनेशन