अभिनव पद चंडी पतित पावनी माँ नर्मदा को समर्पित सहस्त्रचण्डी यज्ञ एवं पार्थिव शिवलिंग पूजन आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न
समापन पर विशाल भंडारे प्रसादी का आयोजन
डही नगर के समीपस्थ ग्राम अतरसुम्मा में श्री गायत्री माता मंदिर में आयोजित श्री सहस्त्रचण्डी यज्ञ एवं पार्थिव शिवलिंग पूजन का आयोजन का मंगलवार को सुबह यज्ञ पूर्णाहुति व शाम तक चले विशाल भंडारे के साथ समापन हुआ।
अभिनव पद चंडी पतित पावनी माँ नर्मदा को समर्पित सहस्त्रचण्डी यज्ञ व पार्थिव शिवलिंग पूजन का आयोजन माँ नर्मदा की परिक्रमा कर रहे स्वामी जी संत श्री शिवमुनिजी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। यज्ञ के यजमान भी स्वामीजी स्वयं रहें। डही क्षेत्र में हुए इस विशाल आयोजन की तैयारियां पिछले दो महीनों से श्री गायत्री माता मंदिर परिसर में चल रही थी। स्वामी जी द्वारा इलाहाबाद से बुलाये गए कारीगरों से एक अतिसुन्दर यज्ञशाला का निर्माण करवाया गया। जिसमें गंगा नदी के किनारे उँगने वाली कास से यज्ञ मंडप को आच्छादित किया गया। आयोजन का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ जो निरंतर दस दिनों तक चला। खातेगांव कन्नौद से पधारें विद्वान पंडितों ने मंत्रोपचार से यज्ञ में आहूतियाँ आहूत करवाई।
स्वामीजी ने हमारे धर्मग्रंथों में वर्णित यज्ञों में आहूत की जाने वाले प्रत्येक पदार्थ की आहुति यज्ञ में आहूत की गई।जिसमें कई तरह के मिष्ठान, लकड़ी, फूल,फल, इत्र, इत्यादि कई विशिष्ट सामग्री यज्ञ में आहूत हुई। इसी दौरान सुबह से पंडितों द्वारा चंडीपाठ व अभिषेक किया जाता रहा ततपश्चात पार्थिव शिवलिंग का निर्माण भक्तों द्वारा किया गया। दोपहर से यज्ञ में आहुतियां डाली जाती जो शाम तक अनवरत चलती।उसके बाद आरती होती व यज्ञ में पधारें सभी भक्तों को भोजन प्रसादी दी जाती।
डही व धरमराय कुआँ की भजन मंडली द्वारा रात्रि में शानदार भजनों की प्रस्तुति दी गई।
यज्ञाचार्य श्री मनमोहन शास्त्री जी व श्री भरत चौबे जी के आचार्यवत्व में 65 विद्वान ब्राह्मणों द्वारा यज्ञ में आहुतियाँ डाली गई। बाबरीघाट होसंगाबाद से आये संत श्री दयानंद जी महाराज का सानिध्य भी क्षेत्र की धर्मप्रेमी भक्तों को मिला। माँ नर्मदा जयंती पर स्वामी शिवमुनिजी महाराज द्वारा नर्मदा तट ग्राम कातरखेड़ा पहुंच कर पूजन व मंत्रोपचार के साथ माँ नर्मदा को 1100 मीटर लंबी चुनरी चढ़ाई गई। स्वामीजी महाराज ने यज्ञ के दौरान भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि ये यज्ञ मैं मेरे लिए नहीं आप लोगों के लिए कर रहा हूँ।मेरा क्या है मैं आज यहाँ हूँ कल कही और, आओ ओर यज्ञ का लाभ लो। माता के परमभक्त स्वामी जी महाराज ने यज्ञ शुरू होने के पहले हर घर जाकर गेंहू के चार दाने की भिक्षा लेकर सभी को आमंत्रित किया था।
इस आयोजन की खास विशेषता यह रही कि स्वामीजी महाराज ने क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति से कोई चंदा नहीं लिया जो किया स्वयं किया।कोई अगर श्रद्धा से कोई भेंट दे गया वो ही लिया।महाराजजी के कई भक्त उत्तरप्रदेश, राजस्थान से भी आयोजन में पधारें थे। रतलाम के प्रसिद्ध भजन गायक श्री अनिरुद्ध मुरारी जी द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी गई। आयोजन में सहभागी बनने वाले सभी सेवकों का महाराजजी ने सम्मान करते हुए सभी को आशीर्वाद दिया।