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महादेवजी के नंदी का जल पीना,विज्ञान पर आस्था भारी। 

शिव के नंदी का जल पीना,विज्ञान पर आस्था भारी।

 

किसी ने कहा कि भगवन महादेव के नंदी के मुँह के सामने चम्मच में पानी भरकर लगाओ तो वे उसे पि जाते है। देखते ही देखते  टीवी चैनलों,सोश्यल मिडिया पर खबर वायरल होए लगी। देश के सभी हिस्सों से खबर आई कि नंदी जी पानी पी  रहे है। शिव में आस्था रखने वालो का शिव मंदिरों  में जमावड़ा लग गया। अब इस बात को विज्ञान तो मानने  से रहा। कहा गया कि जलवायु में कोई परिवर्तन हो सकता है इस वजह से भी ऐसा  है। हजारों मुँह हजारों बाते हुई किन्तु मानने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ा। 

विज्ञान तो ईश्वर को भी नहीं मानता है पर कई अवसर ऐसे भी हम देख रहे है कि हमारे देश में विभिन्न धर्मों के अनुयायी निवास करते है। और सभी धर्मों के अनुयायी अपने अपने हिसाब से या फिर अपने गुरु द्वारा आदेशित ईश्वर की पूजा,अर्चना,इबादत,करते है। जिसकी जिनमे आस्था होती है वे उन्ही देवता की आराधना अपने मन से करता है। चूकिं मुस्लिम धर्म में एक ईश्वरवाद की परम्परा होने से वे केवल अल्लाह की इबादत करते है। ईसाई धर्म के लोग ईसा मसीह को मानते है। सिख लोग गुरुग्रंथ साहिब की आराधना करते है। जैन,बौद्ध मवीर और बुद्ध  को पूजते है। किन्तु संसार में केवल एक मात्र सनातन हिन्दू धर्म है जिसमे ३३ कोटि देवी देवताओ की आराधना की जाती है। सनातन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक नाम राशि वाले व्यक्ति के अलग इष्ट देवता होते है। जिनका वे पूजन,आराधना करते है। सभी की अपनी आस्था है। हिन्दू धर्म में गुरु परम्परा की भी एक अलग पहचान है। गुरु द्वारा कहे गए शब्द शिष्य द्वारा पत्थर की लकीर माना जाता है।

मप्र के कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्राजी ने तो आजकल शिव भक्ति को श्रदालुओं  में इतना जागृत कर दिया है कि उनकी कथा सुनने को श्रदालु टीवी पर चिपक से जाते है। पिछले दिनों उन्होंने श्रदालुओ से सीहोर में शिवपुराण की कथा के साथ रुद्राक्ष बाटने की बात कही तो शिवभक्त लाखों की तादात में सीहोर पहुँच गए। पूरी व्यवस्था चरमरा गयी और इतनी भीड़ के कारण कार्यक्रम को निरस्त करना पड़ा। 

अब बात करते है मुद्दे की… शनिवार दिनांक ०५/०३/२०२२आये है जहाँ आस्था के  आगे विज्ञान पीछे रह गया। ईश्वर को मानने वालो की तादात ज्यादा है। और श्रदालुओ को अपने ईश्वर में अटूट विश्वास,आस्था हैं। 

विज्ञान ने भले ही जीवन शैली को बदल दिया हो किंतु अभी भी अंतिम छोर पर नहीं पहुँच पाया है। 

विज्ञान को जनने वाले अभी तक यह बात शायद नहीं समझ पाए है कि ये हिंदुस्तान हैं यहाँ विज्ञान पर आस्था भारी  हैं।

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