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महँगाई भत्ते में कटौती

केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते पर अगले 18 माह तक कटौती, कोरोना से लड़ने हेतु की गई कटौती, राज्य सरकारें भी कर सकती हैं ऐसी कटौती

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने कोरोना के संकट के चलते राजस्व में आई कमी से निपटने के लिए केंद्रीय कर्मचारियों के डीए को रोकने का फैसला लिया है। सरकार की ओर से कुल 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनरों के डीए को 30 जून 2021 यानी अगले 18 माह तक के लिए रोक दिया गया है। यही नहीं 13 मार्च को ही जनवरी से 30 जून, 2020 के लिए बढ़े 4 फीसदी डीए के भुगतान को भी रोक दिया गया है। हालांकि पहले से मिल रहा 17 फीसदी महंगाई भत्ता मिलना जारी रहेगा।

अनुमान के मुताबिक सरकार को महंगाई भत्ते में रोक से 37,530 करोड़ रुपये की बचत होगी। यही नहीं यदि राज्य सरकारें भी केंद्र का अनुसरण करती हैं तो वे डीए में इजाफे पर रोक के जरिए 82,566 करोड़ रुपये तक की बचत कर सकती हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के फैसले के बाद ज्यादातर राज्यों में डीए को लेकर फैसला लिया जा सकता है। वेतन भत्तों के भुगतान आदि के फैसलों पर केंद्र सरकार का अकसर राज्य सरकारें अनुसरण करती रही हैं, ऐसे में इस बात की प्रबल संभावना है कि ज्यादातर राज्यों की ओर से भी डीए पर रोक के फैसले लिए जाएं। बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार ने पहले ही बढ़े हुए डीए के भुगतान पर रोक लगा दी है।

पिछले माह ही 4 फीसदी महंगाई भत्ता बड़ा था

पिछले माह 12 मार्च को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में केन्द्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (डीए) में 4 फीसदी की वृद्धि को मंजूरी दी गई है। इस बढ़ोतरी के बाद डीए 21 प्रतिशत हो गया था।
डीए में 4 फीसदी की बढ़ोतरी का मतलब है कि कर्मचारियों की हर महीने की सैलरी में स्तर अनुसार 720 रुपए से 10,000 रुपए प्रति माह की बढ़ोतरी । इससे पहले 10 अक्टूबर 2019 को भी केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 5 फीसदी बढ़ा था। इसके बाद महंगाई भत्ता 12 से बढ़कर 17 फीसदी हो गया था।

क्या होता है डीए यानी महंगाई भत्ता

केंद्रीय कर्मचारियों के रहने-खाने के स्तर को बेहतर बनाने के लिए महंगाई भत्ता (डीए) दिया जाता है। महंगाई भत्ते की गणना बेसिक सैलरी के आधार पर होती है। इसका मक़सद महंगाई में बढ़ोतरी की भरपाई करना होता हैं। केंद्र सरकार साल में दो बार इसमे बदलाव करती हैं, पहला जनवरी से जून तथा दूसरी बार जुलाई से दिसम्बर के लिए। और इसका भुगतान क्रमशः मार्च और सितंबर महीने से किया जाता हैं।

कोरोना महामारी से लड़ने हेतु सांसदों के वेतन में कटौती तथा सांसद निधि पर भी अगले दो वर्ष तक रोक पहले ही लगाई गई हैं

कोरोना की भयावहता को देखते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी माह के पहले हफ्ते में महत्वपूर्ण निर्णय लिया था, जिसके तहत सभी सांसदों के 30 फीसदी सैलरी में कटौती कर दी गई, इसके अलावा अगले 2 साल तक MPLAD (सांसद निधि) फंड को खत्म करने का भी फैसला लिया गया है। इसके साथ ही राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल ने भी अगले 1 साल तक अपनी सैलरी में 30 फीसदी कमी करने का फैसला स्वैच्छिक रुप से लिया था। यह पैसा सीधे देश में कोरोना वायरस से लड़ने के लिये उपयोग किया जा रहा हैं।

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