पार्टी संगठन ने युवा चेहरों पर जताया भरोसा,कितना खरा उतर पाएंगे दोनों धार भाजपा जिलाध्यक्ष
नफा नुकसान तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा
भाजपा संगठन ने धार जिले में सभी को चौंकते हुए दो जिलाध्यक्ष शहरीय और ग्रामीण बना कर दो भागों में बांट कर जिले के सभी नेताओं को साधने की कोशिश की है। पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करते हुए युवा चेहरों पर भरोसा जताया है। पार्टी ने युवा निलेश भारती को जिलाध्यक्ष बना कर शहरी क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करेगी। निलेश भारती ने संगठन के अनेक दायित्वों का निर्वहन करते हुए संगठन को बहुत ही कम आयु में उसकी कार्यप्रणाली को समझा हैं और उनको अध्यक्ष बना कर ऐसा माना जा सकता हैं कि पार्टी को फायदा ही होगा।
वही पार्टी ने ग्रामीण क्षेत्रों में जो कसर हैं उस नुकसान की भरपाई के लिए जिला पंचायत सदस्य चंचल पाटीदार को धार ग्रामीण जिला अध्यक्ष बनाया गया है। वैसे पार्टी संगठन ने पहले से ही धार जिले से जयदीप पटेल को प्रदेश मंत्री बनाया हुआ हैं। जिले के तीनों युवा पदाधिकारीयों से आने वाले चुनावों से उम्मीद होगी इसलिए ही पार्टी के अनेक वरिष्ठ अनुभवी ऊर्जावान नेताओं को दरकिनार कर इन युवाओं पर भरोसा जताया है। वर्तमान राजनीति की बात करें तो धार जिले में भाजपा कांग्रेस से पिछड़ी हुई हैं। जिले की सात विधानसभा सीटों में से दो विधानसभा ही भाजपा के पास बाकी पांच पर कांग्रेस का कब्जा है।
पार्टी द्वारा फिलहाल भले ही जिले में जगह जगह दोनों जिलाध्यक्षों के स्वागत सत्कार के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हो पर दोनों पर पूरे जिले में पार्टी को मजबूत कर चुनाव जीताने की अहम जिम्मेदारी है और ये कोई आसान कार्य नहीं है। पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं में बहुत नाराजगी है क्योंकि कल के पार्टी में आए नए नवेले नेताओं की पार्टी के बड़े नेताओं की नजदीकिया हैं और जो वरिष्ठ और कर्मठ कार्यकर्ता हैं वो अपने आप को छोटा महसूस कर रहा है। जिले के अनेक वरिष्ठ नेता जिन्होंने पार्टी को सिंचा उनकी ही आज कोई पूछ परख नहीं है। यही उनकी नाराजगी की वजह भी है।
हकीकत में देखा जाए तो धार विधानसभा को छोड़कर पूरे जिले में भाजपा कमजोर है। शहरी क्षेत्रों में भाजपा ठीक स्थिति हैं पर ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं है। ग्रामीण जिलाध्यक्ष चंचल पाटीदार को बहुत मेहनत करना पड़ेगी ताकि अच्छे परिणाम मिल सकें। लोगों का कहना है उन्हें किसी की परछाई वाली छवि से बाहर निकल कर कार्य करना होगा ओर बूथ स्तर के कार्यकर्ता से सीधे जुड़ना होगा। पंचायत स्तर पर आज भी कांग्रेस मजबूत है।
जो सरपंच खुद तो जीत जाते हैं और भाजपा नेताओं के साथ रहकर खुब अपना काम करवाते हैं वे ही अपनी पंचायत से पार्टी प्रत्याशी को वोट नहीं दिला पाते हैं ओर लोगों को उस नेता का खास बता कर उसके आगे पीछे लगे रहते हैं। दोनों युवा जिलाध्यक्षों को वरिष्ठ और युवा कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बना कर कार्य करना पड़ेगा अन्यथा फिलहाल जो हाल है वो किसी से छुपे नहीं हैं। अधिकारियों और स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य बिठाकर जनता के कार्य करवाने होंगे। जनता छोट छोटे कामों के लिए नगर परिषद, जनपद पंचायत, ग्राम पंचायतों के चक्कर काट रही हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं। इसलिए ही सीएम हेल्पलाइन,जनसुनवाई में जनता का जमवड़ा बढ़ रहा हैं। जिले में एक बात को लेकर भी पार्टी नेता और कार्यकर्ता दबी जुबान में कहते सुने गए हैं कि पूरा धार जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है अगर पार्टी संगठन को दो जिलाध्यक्ष बनाने थे तो कम से कम एक जिला अध्यक्ष आदिवासी समाज से बनाया होता तो पार्टी को बहुत फायदा होता। उसकी वजह भी है अभी तक पार्टी ने गैर आदिवासी ही जिलाध्यक्ष बनाए हैं और नतीजा वही ढाक के तीन पात तो इस बात दो जिलाध्यक्ष बनाए तो एक आदिवासी चेहरा होना था। पार्टी संगठन ने इस बार ये दांव भी खेल कर देख लेना था। नुकसान तो कोई होना नहीं था बल्कि पार्टी को फायदा ही होता।
खैर पार्टी संगठन ने आगे की रणनीति को देखते हुए ही कोई फैसला लिया होगा।
दोनों जिलाध्यक्षों को शुभकामनाएं और स्वागत सत्कार से जल्दी निपट कर जिले में पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए उस पर मंथन करने की आवश्यकता है। देखे जाए तो दोनों अध्यक्षों को ये बात अपने जहन रखनी होगी कि पूरा जिला कांग्रेस का गढ़ है और रास्ता आसान नहीं है। जिले की राजनीति आग का दरिया है और उससे पार पाना हैं।
पुष्पेंद्र मालवीया